ऋषिकेश खोङके "रुह"
तेरी यादों से
महकने को अनंतकाल तक,
सोचता हूं,
चांद की रोशनी में भीगा हुवा,
एक कटोरी दूध,
शरद पुनम की रात पी लूं,
सुना है उस दिन ,
चांद की रोशनी से,
अमृत बरसता है
**ऋषिकेश खोड़के "रूह"****
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