महानगर का काव्य
ऋषिकेश खोङके "रुह"
Sunday, December 15, 2024
गंध
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शब्द! मात्र गंध होते हैं, हृदय में उपजती अनुभूतियों की गंध। ये गंध, सुगंध है की दुर्गंध? अवलंबित है इस पर की किसी परिस्थिति विशेष में, आपक...
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Wednesday, October 30, 2024
दिल के सहरा में (ग़ज़ल)
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दिल के सहरा में तू बारिश कर दे। बस पूरी इक मेरी ख्वाइश कर दे।। दर्द-ए-दिल बह जायेगा आँखों से । डर है कोई ना फरमाइश कर दे।। आमादा हूं खाने क...
तेरा मेरा ख़ुदा (ग़ज़ल)
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गुल पत्ते ये हवा अलग कैसे है । तेरा मेरा ख़ुदा अलग कैसे है ।। है इक ही रंग लाल, सबके ख़ूँ का। हम सारे फिर बता अलग कैसे है ।। नदियां नाले सभ...
Tuesday, October 29, 2024
कसे प्रेमात मन(मराठी ग़ज़ल)
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कसे प्रेमात मन वाहून गेले | तुझ्या हृदयात ते राहून गेले || मला सोडून तू जाणार कोठे | जगच सगळे तुला पाहून गेले || कळल जस आज तू येणार दारी | क...
Sunday, October 27, 2024
ग़म न इतना सहा कर (ग़ज़ल)
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ग़म न इतना सहा कर । बात दिल की कहा कर ।। धड़कनों की कहानी । लफ़्ज़ बन के कहा कर।। ख़्वाब तो फूल हैं बस । खाद पानी किया कर।। ज़िन्दगी इक सफ़र ह...
Friday, October 25, 2024
हिंडोला
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हिंडोला झूलत मोरे आँगनवा, मनवा हमार ललचाय । चल री सखी झूलन को झूला पुरवा ये खींच बुलाय।। बैठ जइबे संग तुम्हरे सखी, झूलब हम भी सनन-सनन। गगन...
Tuesday, October 15, 2024
टिकट व्यवस्था
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भगवान भी देख कर हंसता है, मेरे दर्शन को टिकट व्यवस्था है। दीन के नाम पर खून की होली, किस ने बताया, ये कौन सा रस्ता है। दूध तेल की गंगा, नाली...
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