ऋषिकेश खोङके "रुह"
आज फिर,
दिल की अटैची से,
नसाफत से तह किया हुआ,
तेरी यादों का स्वेटर निकाला है ।
अब भी तेरी खुशबू इसमें महकती है ।
मुझे उम्मीद है,
ऐसा एक स्वेटर,
तेरे पास भी होगा।
धूप में मत रखना, महक चली जाएगी।
No comments:
Post a Comment