जाने क्या क्या सिखाती है ज़िंदगी ।
अक्सर आइना दिखाती है ज़िंदगी ।।
जो है खुद के पास कम लगता है ।
दूसरे की बड़ी सुहाती है जिंदगी।।
ठहरे से लगे पल खुशियों के जब ।।
यकायक तब रुलाती है जिंदगी।।
मुश्किलात से ताउम्र राहत नहीं।
शनि की जैसे साढ़े साती है ज़िंदगी ।।
ख्वाहिशें जज़्ब कर दिन गुजारा।
वही ख्वाब में दिखाती है ज़िंदगी।।
अच्छा बुरा सोचो पर ख्याल रहे।
अपनी सोच की बैसाखी है जिंदगी ।।
संभाल सको इसे तो संभालो "रूह"।
गई तो फिर नही आती हैं ज़िंदगी ।।