Wednesday, June 7, 2023

ग़ज़ल

आप बताइये क्या आपकी नज़र करूं ।
शाम रख दूं सामने या पेश सहर करूं।।
यकबयक आप आ गए यूं मेरे सामने ।
दूर चेहरे से अब कैसे ये नजर करूं ।।
दिल तो लोग कहते हैं मेरा, हुआ आपका।
बताईये और क्या आपके नाम पर करूं।।
आपे मै नहीं हूं, आपके हुस्न का नशा है ।
दीजिए बक्श, कोई खता मैं अगर करूं।।
बस एक छोटी सी इल्तिज़ा है रूह की ।
साथ आपके तय ज़िंदगी का सफर करूं
*ऋषीकेश खोडके "रूह"**

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