महानगर का काव्य
ऋषिकेश खोङके "रुह"
Tuesday, November 21, 2023
सांसें हैं लिया करो।
सांसें हैं लिया करो।
थोड़ा सा जिया करो।।
ज़िंदगी शराब है ।
थोड़ी सी पिया करो।।
जवाब आ जायेगा।
गुफ्तगू किया करो।।
चाक है ,नुमायां है।
गरेबां सीया करो।
नामे रूह आसां है।
लबों से लिया करो।।
Friday, November 10, 2023
चलिए उनसे बात करेंगे
चलिए उनसे बात करेंगे।
ज़ाहिर दिले-जज़्बात करेंगे।
इश्क शायद होगा मुश्किल ।
कोशिश हम दिन रात करेंगे।।
खड़े हैं दर पर ले के झोली ।
हुज़ूर आयेंगे ख़ैरात करेगें।
भरे पड़े हैं आखों के बादल।
जाने कब बरसात करेंगे।।
तैयार होकर रूह खड़े हैं।
मालुम है वो घात करेंगे
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