कहीं ईट कहीं रोड़ा जोड़ना है राजनीति ।
इसे पकड़ना उसे छोड़ना है राजनीति।।
साम दाम दंड भेद, येन केन प्रकरेण।
विरोधियों का होसला तोड़ना है राजनीति।।
हाथ जोड़े तो भी मिलों न जिससे साल भर।
चुनाव में उसके हाथ जोड़ना है राजनीति ।।
जो दिख रहे हैं वही तो कह रही है कविता।
भावनाओं का तोड़ना मरोड़ना है राजनीति।।
सटीक
ReplyDeleteधन्यवाद सुशील जी
Deleteठीक ही कहा है आपने
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी
Deleteबहुत सटीक
ReplyDeleteसुन्दर
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