Saturday, September 21, 2024

मर जाऊं तो मत रोना

मर जाऊं तो मत रोना, मेरे गीत कविता गा देना,
यादें मेरी औढ़ के तुम, इक दुनिया नई बसा लेना।

मस्ती में जो हंसता हूं, जोश में आके बहकता हूं,
हर गली, हर राह में, मैं झूमता हूं, उछलता हूं।
याद करना इस पल को, जब नही मैं संभलता हूं,
इन रंगों में मेरी मस्ती का इक रंग लगा देना।

मर जाऊं तो मत रोना, मेरे गीत कविता गा देना।

नज़्मों में जो लिखता हूं, मैं गीतों में जो ढूंढता हूं,
ग़ज़ल के हर शेर में , मै अपना जहाँ बुनता हूं।
किताबों में खो जाता हुं, सपनों में उड़ जाता हूं,
तुम भी मेरे लफ़्ज़ों में, ये रूह मेरी पा लेना।

मर जाऊं तो मत रोना, मेरे गीत कविता गा देना।

वो जंगल वो पर्वत, जहाँ मैं खो सा जाता हूं,
वादियों की सदाओं में सांसें दिल की पाता हूं 
आवाज दे कर जहां, नीले आसमां को बुलाता हुं ,
उन सदाओं को तुम मेरी यादों का गीत सुना देना।

मर जाऊं तो मत रोना, मेरे गीत कविता गा देना।

मेरी मस्ती हो, किताबें हों, या हों वो ऊँची चोटियां,
हर जगह में बसा हूं मैं, मेरी अपनी सब बस्तियां,
सदा रहूंगा पास तुम्हारे, बस एक बार दिल से सदा देना,
मर जाऊं तो मत रोना, मेरे गीत कविता गा देना।

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