Wednesday, October 30, 2024

दिल के सहरा में (ग़ज़ल)

दिल के सहरा में तू बारिश  कर दे।
बस पूरी इक मेरी ख्वाइश कर दे।।
दर्द-ए-दिल बह जायेगा आँखों से ।
डर है कोई ना फरमाइश कर दे।।
आमादा हूं खाने को हर धोखा ।
गर चाहे तो कोई साज़िश कर दे।।
कह ना पाया मैं लफ़्ज़ों में तुमसे ।
फ़रमाइश पूरी वो दानिश कर दे।।
जी में जी आ जायेगा चारागर।
अपनी आँखों में तू जुंबिश कर दे।। 
रूह-ए-आलम बन के जो बिखरा है ।
छू ले जिसको उसको ताबिश कर दे।।

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