घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार, अली री !
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार
चमक-चम-चम बिजुरीया चमके,
छमक-छम-छम पानी की बौछार, अली री
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार
कल-कल-कल-कल,संगीत नदी का,
सर-सर-सर-सर , करे आम की डार, अली री
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार
हरीतिमा ओढे, बैठी धरती लजाई,
और सतरंगी श्रावन करे श्रुंगार , अली री
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार
पंख फैलाये वन नाचे मयूरा
पिहु-पिहु-पिहु-पिहु, पपीहे की पुकार , अली री
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार