नाट्य शास्त्र में वर्णित अष्ट नयिका में से एक नायिका "प्रोषितपतिका" पर कविता। प्रिय के वियोग से दु:खित विरहिणी नायिका को प्रोषितपतिका कहते हैं।
मौरे नैन डगर पर, तकुं बांट बरस भर ।
न तोरी कोइ खबर पर, कब आओगे कहो तो।
प्रतिक्षा मे तुम्हारी, दिवस पूर्ण रात्री सारी |
निंद्रा न नयन उतारी, और जगाओगे! कहो तो ?
थकी मैं भैज-भैज पांती, उत्तर कुछ भी न पाती |
कब तक जीवन साथी, पत्र दे पाओगे! कहो तो ?
नित गोधुली बेला आये, नयन मेरे नीर बहाये |यू
अकेले रहा ही ना जाये, घर आओगे! कहो तो ?
रोज रोज निंद्रा में रात्रि, स्वप्न मे आते हो तुम ही |
किंतु क्या प्रिय स्वप्न ही, रह जाओगे ? कहो तो ?
सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद
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