**शुक्लाभिसारिका** जो नायिका चांदनी रात में श्वेत वस्त्र धारण कर नायक अभिसार को जाती है
शुभ्र वस्त्र देह धारण, केश काले कर संभारण।
नखशिख अंग श्रुंगारण, रास पूर्णिमा परीचारण ।।
अली री जाती राधारानी, चली बुझा के दिपदानी।
लगे यूं जैसे अरण्यानी। पकड़ी न जाय अज्ञानी ।।
देखे ना अपना पराया , बन कर ज्यूं प्रतिछाया।
हारी मन हारी काया, ये कैसी कान्हा की माया।।
भला हो पानी जमना का, शोर पाजेब का दब जाता।
किसे मिलन ये सुहाता, राधा कृष्ण, कृष्ण कृष्ण राधा ।।
सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteऐसे ही सच्चे भक्तजन मन को शुद्ध करके भगवान से मिलने जाते हैं
ReplyDeleteधन्यवाद
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