Tuesday, April 17, 2007

तालीबान का भारतीयकरण

ब्रेकिंग न्यूज : १. भोपाल मे धर्म के ठेकेदारों द्वारा हिंदू-मुस्लिम विवाह पर हंगामा | २. स्टार न्यूज पर धर्म के ठेकेदारों का हमला | ३. शील्पा शेट्टी पर फिर धर्म के ठेकेदारों ने मचाया बवाल | ये तो मात्र कुछ ताजा उदारहण है जो मुझे याद है किन्तु एसे अनेक उदारहण दिये जा सकते है | तो हम और आप इसे क्या कहेंगे ? मैं तो इसे तालीबान का भारतीय संसकरण कहना पसंद करुंगा |

कुछ लौग जो किसी भी धर्म विशेष के हो सकते है अपने आप को धर्म एवं संक्रुति का रक्षक कहते है और इसकी रक्षार्थ स्वयं को कुछ भी करने का अधिकारी मानते है , अक्सर अपने विरोध अभीयानो मे तालीबानी बर्बता का परीचय देते रहते हैं | क्या समाज इनको ये अधिकार देता है ? क्या आप और मैं इन सब के लिये राजी है ? शायद नही , क्योकीं एक आम आदमी के पास इन सब बातों के लिये समय ही नही है | आम आदमी अपनी रोजी-रोटि की चिंता मे चिता समान जल ही रहा होता है की ये धर्म के ठेकेदार उसमे होम करने आ जाते है और आम आदमी की समस्याओं को बडा देते है | देश मे बंद का एलान एक सामान्य उदारहण है जो ये लौग गाहै-बगाहै करते रहते है , क्या इन धर्म के ठेकेदारों ने कभी सोचा है की इस सब से समस्या हल होने वाली है या और ये बंद १ गरीब की समस्या बडाने वाला है जीसे अपने परीवार का पेट पालने की चिंता है और बंद के कारण उसका चुल्हा आज नही जल पायेगा |

किंतु मेरी समझ मे समस्या का मुल ये धर्म के ठेकेदार नही है अपितू बडी संख्या मे अशीक्षित एवं बेरोजगार लोगो का होना है जो ये समझ ही नही पाते की कुछ लौग अपनी राजनेतिक रोटिंया सेंकने के लिये इनका प्रयोग करते है और व्यर्थ ही धार्मीक उन्माद खडा कर देते है | यदी सरकार इस समस्या से निदान पाना चाहती है तो उसे शिक्षा कार्यक्रमों की गति बढानी होगी और रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे ताकी जनता के पास धर्म के ठेकेदारों को सुनने का समय ही न हो और यदि सुने भी तो सही-गलत के पहचान की क्षमता हो |

8 comments:

  1. "रूह",

    एकदम सही लिखा है आपने, इसका सबसे बड़ा कारण अशिक्षा और गंदी राजनिती है। साप्रदायिकता हर हाल में गलत है भले किसी भी सम्प्रदाय द्वारा हो।

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  2. Ek dun sahia aur sateek baat kahi hai...hamaare desh main dharma ke thekedaaron ki kaami nahi jo har gali koochon ko sarhadon main baatte hain....aise main aam aadmi unka shikaar ho jaata hai jo ki apni do joon ki roti ke chakkar se hi nahi ubhar paata...

    Gud Beginning..

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  3. yaa sahi kahaa apney.but ab kafi log hain jo is baat par dhyan nahi de rahey.b'cos dey dont have time for dis rediculos topics.dey r good in der ways.dey know wat is right n wat is wrong.so dey r not givin ny ear to dis .good

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  4. u r absolutely right . these religious extremits consider thmselves above laws n think they can bring about a change by force. they know that what they r doing is neither right nor digestable but still they keep on such activities coz they know that the common indian is very innocent and they can easily use them for their purpose.these people r great threat to humanity as well as democracy.but i disagree with ur fact that illeteracy is the main cause of this , i think poor religios and mental attitude and poverty is the main cause of thi . if u analyse u will observe tht most of the terrorists r well educted and inded the talibanis were highly education ,but their orthodox mentality is the main threat to religion, democracy and freedom.

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  5. Your approach is quite shellow man!
    Without any scientific research how con you conclude that what are the resons of relegious extreamism. You sound like a typical Congressman, who talks on Secularism (Psudo). There are reasons behind everything. An individual, group of people or community at large learns a particular kind of behaviour towards certain sections of society, due to his/her/their experiences with them.
    Don't blem Hinduism, you will come to realise its value when you will be beaten by others.
    Relegious rigidity is required to some extant to sustain, otherwise you are fucked or killed by other groups, I am sorry to use a little rude language, but its true.
    If Cristianity, Islam and other relegious entities can take steps to grow and converting others, why can't Hindu retaliate to remain a Hindu. Don't teach lessons of tolorance to Hindus, it is because of our tolorance only that we have suffered a lot and have been brutally killed by Muslims in midual age. What you are going to do when some body does an atrocity over you. Writting articles is easy man, when you will come across any horible experience about Muslims or Cristians then I hope you will keep writting like this.
    Relegious regidity is required to Hindus otherwise people like you will be fucked and no wonder killed as well by ISLAMI terrerists.I will retaliate but what will happen to you?

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  6. मैं ऋत्विक जी से सहमत हूँ. उनकी भाषा आपत्तिजनक अवश्य है, पर विचार नहीं. मैं जानना चाहूँगा कि हमारे हिन्दू 'तालिबानियों' ने कितने
    (अ) बम फेंके?
    (आ) कत्ल किये?
    (इ) लोगों को घर से बेघर किया?

    शिवाजी एवम् गुरु तेगबहादुर को को 'लुटेरा' बताने वाली पाठ्य-पुस्तकों का विरोध 'तलिबानीकरण' नहीं है.

    वैसे याद दिला दूँ कि कभी भारत (रणजीतसिंह के ज़माने तक, मात्र 200 वर्ष पूर्व) अफ़गानिस्तान तक फैला था. वहाँ से पिट कर पीछे हटे तो पाकिस्तान तक, वहाँ से पिट कर पीछे हटे तो काश्मीर (प्रैक्टिकली)गया. अब वे गुजरात पर हाथ मार रहे हैं. पूर्व की सात-बहनें "इंडियन आर्मी गो बैक" के नारे लगाती हैं. वे अपने आप को भारतीय नहीं मानते क्योंकि वे ईसाई हो गये हैं.
    विरोध धर्म से नहीं, धर्मांधता से है. और जितना विरोध आपके तथाकथित 'तालिबानी' कर रहे हैं डियर, यदि वह भी न हो तो आप अपने ही शहर में इज़्ज़त से शायद सिर उठा कर न चल सकें.

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  7. One thing you should accept that Taliban is a group of heinous criminals of Muslims and that is due their uneducated background and no one in the world can reach there who can spread terror easily internationally.

    I want to ask from these so called liberal Intellectuals that what you have done against the activities of TALIBAANS. If they did nothing against the international terrorist then what is the need to say against these local activists with no AK 56, 47.

    If you say that Taliban is not relating to us. Then I want to ask , what they did against the many killing act of naxals or Maoist.

    Reply awaited.

    Satish

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  8. is vichar se puri tarah sehmat hua hi nahi ja sakta dono pakdho ki vichardhara me bhinta hai yeh manna ghatak hai ki yeh dharam ke thekedar na hokar berojgar hain

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