Wednesday, August 19, 2015

****सावन गुज़रा जाता है****

बादलों के जंगल में
शिकारी,
जाल बिछा कर
पकड़ लो
बूंदों के सारे घोड़े ।

पैरों में नाल ठोक कर,
जरा दौड़ाओ,
बिजली के कोड़े बरसाओ ।

सावन गुज़रा जाता है,
कोई टप टप की आवाज़ नहीं अब तक ।

ऋषिकेश खोड़के "रूह"

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