ऋषिकेश खोङके "रुह"
दरिया के उतरते पानी में सब बहा दिया मैंने, मन की बेचेनियाँ, जीवन के दुख, तमाम परेशानियां |
दरिया देखकार बोला हँसते हुए, पागल ! चढते पानी के साथ, मै सब दुगना लौटाता हूं |
***ऋषिकेश खोड़के "रूह"***
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