आज फिर,
दिल की अटैची से,
नसाफत से तह किया हुआ,
तेरी यादों का स्वेटर निकाला है ।
अब भी तेरी खुशबू इसमें महकती है ।
मुझे उम्मीद है,
ऐसा एक स्वेटर,
तेरे पास भी होगा।
धूप में मत रखना, महक चली जाएगी।
ऋषिकेश खोङके "रुह"
आज फिर,
दिल की अटैची से,
नसाफत से तह किया हुआ,
तेरी यादों का स्वेटर निकाला है ।
अब भी तेरी खुशबू इसमें महकती है ।
मुझे उम्मीद है,
ऐसा एक स्वेटर,
तेरे पास भी होगा।
धूप में मत रखना, महक चली जाएगी।
जहन से तेरी तस्वीर हटाऊं कैसे |
सांस है तू, फिर लेना भूल जाऊं कैसे ||
मिनट में सौ बार धड़कता है लैकिन |
दिल की धड़कन तुम्हे सुनाऊं कैसे ||
कान्हा तो नही मैं पर बांसुरी तुम हो |
रख तो लूं होठों पर, बजाऊं कैसे ||
लानत भैजो गर नजर हट जाएं।।
हुस्न पर पलकें झपकाऊं कैसे ।।
जो कहे रूह , कमबख्त कम है ।
बयाने हुस्न को अल्फाज लाऊं कैसे ।।
***ऋषिकेष खोडके "रूह"***