Saturday, December 30, 2023
वाणी का चिंतन गहन करें। (ग़ज़ल)
Monday, December 18, 2023
परों को आजमा के देखो। (ग़ज़ल)
Thursday, December 14, 2023
धूप को छांव (ग़ज़ल)
Saturday, December 9, 2023
दिल में हमारे (ग़ज़ल )
आरामपसंद (ग़ज़ल)
Tuesday, November 21, 2023
सांसें हैं लिया करो।
Friday, November 10, 2023
चलिए उनसे बात करेंगे
Saturday, October 14, 2023
सफर कोई हो, मंज़िल तुम्ही हो।
Wednesday, September 13, 2023
बदले हुए हैं मंजर
Monday, August 28, 2023
लाख कह दो तुम की ख़राब
Wednesday, August 23, 2023
चांद पाने की ख़्वाहिश कर के देखो।
ज़िंदगी अपनी ख़ाक करते रहे।
मुझमें कुछ तेरे जैसा रहता है।
फासिला दरमियान इतना तो न था
Friday, July 14, 2023
हमारी नदियां मर रहीं हैं।
Friday, July 7, 2023
ग़ज़ल
Thursday, June 29, 2023
बातें
Tuesday, June 27, 2023
शहरों पर मुझको एतबार कोई नही
Wednesday, June 7, 2023
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Wednesday, April 19, 2023
ग़ज़ल
Tuesday, April 18, 2023
ग़ज़ल
Friday, April 7, 2023
गजल
रूहानी
Sunday, April 2, 2023
अशआर
Sunday, March 5, 2023
रंजिश है तो सामने से निभा
रंजिश है तो सामने से निभा,
खंजर को मेरी पीठ ना दिखा ।।
ईमान तू रख दे बाजार में,
देखें तो सही किस दाम बिका ।।
कितना डरता है अल्फाजों से,
तख्त तेरा किस बात से हिला ।।
नफरत फैला तू चाहे जितनी,
हम नही देंगे बदलने फिज़ा ।।,
बयाने-रुह तो ना-फानी है,
कर कोशिश, मिटा सके, मिटा ।।
Monday, February 27, 2023
तेरी यादों का स्वेटर
आज फिर,
दिल की अटैची से,
नसाफत से तह किया हुआ,
तेरी यादों का स्वेटर निकाला है ।
अब भी तेरी खुशबू इसमें महकती है ।
मुझे उम्मीद है,
ऐसा एक स्वेटर,
तेरे पास भी होगा।
धूप में मत रखना, महक चली जाएगी।
जहन से तेरी तस्वीर हटाऊं कैसे
जहन से तेरी तस्वीर हटाऊं कैसे |
सांस है तू, फिर लेना भूल जाऊं कैसे ||
मिनट में सौ बार धड़कता है लैकिन |
दिल की धड़कन तुम्हे सुनाऊं कैसे ||
कान्हा तो नही मैं पर बांसुरी तुम हो |
रख तो लूं होठों पर, बजाऊं कैसे ||
लानत भैजो गर नजर हट जाएं।।
हुस्न पर पलकें झपकाऊं कैसे ।।
जो कहे रूह , कमबख्त कम है ।
बयाने हुस्न को अल्फाज लाऊं कैसे ।।
***ऋषिकेष खोडके "रूह"***
Monday, January 16, 2023
अमृत
तेरी यादों से
महकने को अनंतकाल तक,
सोचता हूं,
चांद की रोशनी में भीगा हुवा,
एक कटोरी दूध,
शरद पुनम की रात पी लूं,
सुना है उस दिन ,
चांद की रोशनी से,
अमृत बरसता है
**ऋषिकेश खोड़के "रूह"****