Saturday, October 14, 2023

सफर कोई हो, मंज़िल तुम्ही हो।

सफर कोई हो, मंज़िल तुम्ही हो।
हर राह का , हासिल तुम्ही हो।।
दरिया हूं आखिर कहां जाऊंगा।
मेरी मौजों का साहिल तुम्ही हो।।
तफ्तीश का ढोंग क्यू करते हो।
मुमतहिन, मेरे कातिल तुम्ही हो।।
आज़मा कर देखे जाने कितने।
आखिर पाया की कामिल तुम्ही हो।।
रिश्तों की गरमी जो बनाए रखे ।
रूह इतने काबिल तुम्ही हो।।


कामिल : संपूर्ण 
मुमतहिन : जाँचने वाला