Wednesday, March 27, 2024

ग़ज़ल

दिल तुझ से लगाया गुनाह किया।
तुझको खुदा बनाया गुनाह किया।।
पता न था के हो जाएगा कलम।
सजदे सर झुकाया गुनाह किया ।।
भूल गया था दाग चांद पर भी है  ।
तुमको चांद बुलाया गुनाह किया।।
मोती से आंसू खाक मे मिले जाते हैं।
तुमने मुझे रुलाया गुनाह किया ।। 
ग़ज़ल इक तुम पर भी लिख देता।
दिल "रूह" का दुखाया गुनाह किया।।

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