Sunday, June 22, 2025

**पांडुरंग हरी**

श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल , 
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ।
भक्तों का सखा वो, भक्तों की माऊली ।।

पुंडरीक निवेदन का जिसने मान रखा,
कमर रख कर हाथ, हुआ ईंट पर खड़ा,
भक्त की मांग पर सदा वहीं बस गया
जाती पंथ छोड़ के, प्रेम डोर बांध ली ।

श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल , 
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ।
भक्तों का सखा वो, भक्तों की माऊली ।।

नामा के पुकारा उसको, तुका ने पुकारा,
ज्ञानोबा माऊली ने तन मन धन उतारा,
जन जन के मन आंगन, पांडुरंग जगाया,
गाते नाचते अब सब करे वारी पंढरी ।

श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल , 
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ।
भक्तों का सखा वो, भक्तों की माऊली ।।

जात पात कोई नहीं, नहीं तुच्छ महान ,
आत्मा सब एक है,विठुराया का ज्ञान ,
वारकरी का पांडुरंग, माऊली ही प्राण,
तर जाए डोर जो माऊली की थाम ली।।

श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल , 
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ।
भक्तों का सखा वो, भक्तों की माऊली ।।

पंढरी का विठ्ठल, सदा भक्तों के साथ,
भक्त पुकारे जब , पाए विठ्ठल साक्षात,
कहे "रूह" सबके मनकी, पांडुरंग को ज्ञात,
दुख हरे, हरे पीड़ा, प्राचीती विठू नाम की ।

श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल , 
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ।
भक्तों का सखा वो, भक्तों की माऊली ।।

Thursday, June 19, 2025

पत्नी की तारीफ (शादी की सालगिरह विशेष)

अपनी शादी की सालगिरह सोचा काव्यमय मनाऊं ।
चैट जीपीटी से  पत्नी की तारीफ में कविता लिखवाऊं।

चैट जीपीटी को ओपन कर बोला,
भाई पत्नी की तारीफ में चार पंक्तियां बताना।

चैट जीपीटी बोला 

महोदय !
समग्र अंतरजाल खाली पड़ा है,
ऐसा कोई उदाहरण नहीं वहां है,

आप के पास ही कोई शब्द है,
तारीफ का तो बतलाना !
खामखां मुझसे झूठ ना बुलवाना।

Tuesday, June 10, 2025

नटखट कन्हैया

पनिया भरन कूप जाऊं कैसे मईया ।
गगरीया फोर देत नटखट कन्हैया ।।

पनिया भरन कूप जाऊं कैसे मईया ।

भीगी मेरी अंगिया, भीगी मेरी चोली ,
कितना सहूं मुए कान्हा की ठिठोली ,
अखियां दिखाऊं तो और इतराए है,
हाथ उगराऊं तो पकड़ ले बहियां।।

पनिया भरन कूप जाऊं कैसे मईया ।

चरखी बंधी कभू,काट देत पगहा ,
चुटिया खींचें कभू खींचें चुनरवा,
कूद जात कूप कभी लेकर ग्वाले,
बिपदा ही जनमि ये गोकुल नगरिया।

पनिया भरन कूप जाऊं कैसे मईया ।

ठाडे रहें पथ में , आपे पलकें नचावे,
कभू मोहे कभू मोरी सखियां सतावे,
करो काहू जतन माई अपने लला का,
सर फोर दूंगी मैं लेकर लकड़ियां।।

पनिया भरन कूप जाऊं कैसे मईया ।

Wednesday, June 4, 2025

ज़िंदगी (ग़ज़ल)

जिंदगी तू कमाल  है ।  
तोहफा बेमिसाल है ।।  

खुद से खफा हों किसलिए ।  
हर घड़ी ये सवाल है ।।  
  
ठोकरें लाख राह  में  
रोक सकें मजाल  है ।।  
  
जीत पड़ाव आख़िरी ।  
हार तो एक  ख्याल है।।  
  
जिस्म को रूह छोड़ कर ।
जाए कहां सवाल है ।।