Saturday, November 1, 2025

भीड़ में तन्हा रहता है (ग़ज़ल)

भीड़ में तन्हा रहता है ।
ख़ुद से वो उलझा रहता है।।

एक समंदर है आँखों में ।
दिल मगर प्यासा रहता है।।

ज़ख़्म जो हो गर सीने में।
उम्र-भर ताज़ा रहता है।।

रात जब सब सो जाते हैं ।
ख़्वाब तब जागा रहता है।।

"रूह" की ये तो फ़ितरत है।
दर्द में हँसता रहता है।।