Monday, July 23, 2007

अरे रुक जा रे बन्दे

अरे रुक जा रे बन्दे,

वो मर चुका है ,
वो जल चुका है |
अब आग लगाते हो कहाँ,
था आशीयाँ जिसका वो गुज़र चुका है |

बंद कर ये लहू बहाना,
नफरत की फसल उगाना,
काट ये आग उगलते नाखून,
जाने कितनी जिंदगी खुरच चुका है |

छाती तेरी कब ठंडक पायेगी,
मुर्दो की बस्ती तुझे कब तक भायेगी,
ये सफेदी का काला रंग कहां तक उडायेगा,
तेर घर भी रंग ये निगल चुका है |

अरे रुक जा रे बन्दे, रुक जा,
वापसी का दरवाजा हमेशा खुला है |

12 comments:

Udan Tashtari said...

बढ़िया प्रयास, जारी रखें. काफी दिनों बाद लिखा? भाव उम्दा हैं.

परमजीत सिहँ बाली said...

ऋषिकेश जी,अच्छी रचना है।बधाई\

ऋषिकेश खोडके रुह said...

उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद |

Ratnesh Namdeo said...

Kya baat hai dear, aajkal bahut aacha likhne lage ho.

Anupama said...

अब आग लगाते हो कहाँ,
था आशीयाँ जिसका वो गुज़र चुका है |

छाती तेरी कब ठंडक पायेगी,
मुर्दो की बस्ती तुझे कब तक भायेगी,
ये सफेदी का काला रंग कहां तक उडायेगा,
तेर घर भी रंग ये निगल चुका है |


अरे रुक जा रे बन्दे, रुक जा,
वापसी का दरवाजा हमेशा खुला है |

Kaafi utejna hai is kavita me...Revolutionary.....Its nice to read you again....keep writing

शैलेश भारतवासी said...

संदेश बढ़िया है- वापसी का दरवाजा हमेशा खुला है। लिखते रहिए

Unknown said...

ऋषिकेश जी, बहुत अप्रतिम कविता की रचना की है, आपकी कविताएं तो वैसे भी अतुल्नीय होती हैं, तो इस कविता मोल हम क्या लगाएं !

गीता पंडित said...

ऋषिकेश जी!
अच्छी रचना ....।

अरे रुक जा रे बन्दे, रुक जा,
वापसी का दरवाजा हमेशा खुला है |

बधाई

Anonymous said...

bahut khoob,

achchhi kavita

Anonymous said...

Dear Rishi,
Really good & apriciated poem. You think really very deep. Your message in this poem is really important & the way of presentetion is also cool. Keep it up.

Regards.
rschinchore@gmail.com

Unknown said...

thats great keep it up buddy.

राजीव रंजन प्रसाद said...

छाती तेरी कब ठंडक पायेगी,
मुर्दो की बस्ती तुझे कब तक भायेगी,
ये सफेदी का काला रंग कहां तक उडायेगा,
तेर घर भी रंग ये निगल चुका है |

अरे रुक जा रे बन्दे, रुक जा,
वापसी का दरवाजा हमेशा खुला है |

मैं कई दिनों से आपको अंतरजाल जगत से अनुपस्थित पा कर व्यथित था। इस रचना के साथ दुरुस्त आयद...बहुत बधाई आपको।

*** राजीव रंजन प्रसाद