Friday, February 20, 2009

सात रंग

निला रंग

सब स्थिर, शान्त, अव्याकुल और गहरा है,
मै देख सकता हूं इनमे दुर तक,
ये बातें करता है
आकाश पीरोजा आकाश

पिला रंग

तुम अम्बर हो ,
तुम हो सुर्य,
उपजाउ ये तेज तुम्हारा
मुझे भावो-विचारों से भर देता है,
दुर करता है संशय,
प्रकाश से प्राण प्रज्वलित करता है

लाल रंग

एक उर्जा,
एक उत्साह, उत्सुकता, व्यग्रता,
एक लालसा, आवेग,
तुम प्राण हो ,रक्त हो, तेज हो,
तुम ही अग्नी,तुम ही प्रेम,
तुम ही जीवन शक्ति |

नारंगी रंग

तुम अग्नी हो पर हवन की,
तुम उर्जा हो पर मन की,
तुम संतुलन हो जीवन का,
तुम साम्य हो तेज का ,सुर्य का,
इन्द्रगोप तुम आवरण ऋषी का |

हरा रंग

एक ताल, एक लय, अनुरूप,अविरोध
जीवन ,संतुलन,प्रक्रुति,
संवेदना , स्वास्थ , समृद्धि
तुम सत्य ही जीवन का विस्तार

जामुनी रंग

अनन्तता, असीमता
धीर, धीमा, गंभीर, स्थिर,
क्रुष्ण मार्गी
तुम हो ज्ञान

बैंगनी रंग

गुरु शिखर,
प्रभुत्व के स्वामी
तुम आदि, तुम अंत,
तुम उन्मत्त , उर्जा स्थायी,
तुम माया ,तुम ब्रम्ह

इन्द्रधनुष

मानव !
सात रंगो का ये इन्द्रधनुष
हां मानव तुम ही तो हो |

2 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

तुम अग्नी हो पर हवन की,
तुम उर्जा हो पर मन की,
तुम संतुलन हो जीवन का,
तुम साम्य हो तेज का ,सुर्य का,
इन्द्रगोप तुम आवरण ऋषी का |

अरे ये तो बहुत ही खूबसूरत अंदाज है

Udan Tashtari said...

बेहतरीन रचना!१