कोई दिन तो कभी मै खुद पर खर्च करूँ |
हर दिन , मिलते ही , टुकड़ों में बंट जाता है ,
इसके उसके नाम की तख्ती से बंध जाता है ,
कभी किसी तख्ती पर खुद का नाम भरूं ||
टप-टप पल हर एक पल टपक रहा है ,
पल मेरे नाम का जाने कौन झटक रहा है ,
कभी तो पल मै कोई खुद के लिए धरुं ||
कोई दिन तो कभी मै खुद पर खर्च करूँ |
Wednesday, December 8, 2010
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