दरिया के उतरते पानी में
सब बहा दिया मैंने,
मन की बेचेनियाँ,
जीवन के दुख,
तमाम परेशानियां |
दरिया देखकार बोला
हँसते हुए,
पागल !
चढते पानी के साथ,
मै सब दुगना लौटाता हूं |
***ऋषिकेश खोड़के "रूह"***
ऋषिकेश खोङके "रुह"
दरिया के उतरते पानी में
सब बहा दिया मैंने,
मन की बेचेनियाँ,
जीवन के दुख,
तमाम परेशानियां |
दरिया देखकार बोला
हँसते हुए,
पागल !
चढते पानी के साथ,
मै सब दुगना लौटाता हूं |
***ऋषिकेश खोड़के "रूह"***