रंजिश है तो सामने से निभा,
खंजर को मेरी पीठ ना दिखा ।।
ईमान तू रख दे बाजार में,
देखें तो सही किस दाम बिका ।।
कितना डरता है अल्फाजों से,
तख्त तेरा किस बात से हिला ।।
नफरत फैला तू चाहे जितनी,
हम नही देंगे बदलने फिज़ा ।।,
बयाने-रुह तो ना-फानी है,
कर कोशिश, मिटा सके, मिटा ।।