गिर के फिर से संभलना नहीं आसाँ।।
क्या तेरे मिरे,जज़्बात हैं सबके ।
इन्हें अल्फ़ाज़ में बदलना नहीं आसाँ।।
सुरत बदलकर मिलते हैं सभी सब से ।
हमेशा चेहरा बदलना नहीं आसाँ।।
ज़रूरत तो इक दलदल गहरा सा है।
फंसे तो बाहर निकलना नहीं आसाँ।।
भरे बाज़ार हैं मौका-परस्तों से ।
यहां ईमान पे पलना नहीं आसाँ ।।
कभी तो वक़्त बदलेगा है उम्मीद।
हमेशा हसरत कुचलना नहीं आसाँ।।
बुलंदी रूह सौदा बहुत मुश्किल।
बुलंदीयों पे संभलना नहीं आसाँ।।
बहरे हज़ज मुसद्दस सालिममुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन1222 1222 1222
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तू फा ने ज़ी स्त में जलना नहीं आसाँ।।
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गिर के फिर से संभलना नहीं आसाँ।।
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क्या तेरे मिरे। जज़्बात हैं सबके ।
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इन्हें अल्फ़ाज़ मेंब दलना नहीं आसाँ।। *में का वज़न गिराया है।
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सु रत बद लक र मिलते हैं सभी सब से
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हमेशा चे। ह राब। दल ना नहीं आसाँ।। *रा का वज़न गिरायाहै
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ज़रूरत तो इकद लद लग हरा सा है।
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फंसे तो बा ह रनिकलना नहीं आसाँ।।
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भरे बा ज़ार सब मौका-परस्तों से
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यहां ईमान पे पलना नहीं आसाँ।।
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कभी तो। वक़्त बद ले। गा है उम्मीद। +1 नियम, गा का वजन
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हमेशा हस र तकु चलना नहीं आसाँ।।
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बुलंदी रूह सौदा। बहुत मुश्किल।
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बुलंदी यों पे संभलना नहीं आसाँ।।
4 comments:
वाह
कभी तो वक़्त बदलेगा है उम्मीद।
हमेशा हसरत कुचलना नहीं आसाँ।।
वाह क्या शानदार बात कही....भरे बाज़ार हैं मौका-परस्तों से ।
यहां ईमान पे पलना नहीं आसाँ ।।
कभी तो वक़्त बदलेगा है उम्मीद।
हमेशा हसरत कुचलना नहीं आसाँ।।...बहुत खूब
बहुत सुन्दर
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