Wednesday, June 12, 2024

सौदाई को माने रखते हैं (ग़ज़ल/

सौदाई को माने रखते हैं।
तेरे खत सिरहाने रखते हैं।।

तुम कब आते हो कब जाते हो ।
सारा इल्म दिवाने रखते है।।

कीमत फूल की बढ़ जाए है जब ।
जुल्फों में वो दिखाने रखते है ।।

लब आंखें जुल्फें कितने आखिर ।
सुंदर लोग ख़ज़ाने रखते है ।।

तुझसे मिलने खातिर "रूह"  मियां।
अक्सर अच्छे बहाने रखते है ।।


रचना निम्नलिखित बह्र में है:
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़े
22     22    22    22     2

5 comments:

आलोक सिन्हा said...

बहुत सुन्दर

Anita said...

वाह! उम्दा शायरी

Onkar said...

बहुत सुन्दर

शुभा said...

वाह! बहुत खूब!

...“निश्छल” said...

तेरे खत सिरहाने रखते हैं...
क्या बात..क्या बात..क्या बात।।👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻🙏🏻