Saturday, July 26, 2025

बस इक ख़ज़ाना चाहिए (ग़ज़ल)

बस इक ख़ज़ाना चाहिए।
दिल में ठिकाना चाहिए।।

तन्हा बहलता दिल नहीं ।
कोई फ़साना चाहिए।।

ग़म राग जैसे भैरवी ।
गा कर सुनाना चाहिए।।

आँसू मिरे बहते जहाँ।
तीरथ बनाना चाहिए ।।

ख़त की सियाही खून थी।
उसको बताना चाहिए ।।

अल्फ़ाज़ बैठे रूठ कर।
अब दिल लगाना चाहिए।।

यह "रूह" के अश'आर है।
सबको पढ़ाना चाहिए।।

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