ज़िंदगी मुश्किल सफ़र है।
ढूंढना मंज़िल सफ़र है।।
गर तलाश-ए-हक़ इरादा।
फिर सफ़र काबिल सफ़र है।।
दास्ताँ जो राह कहती ।
बस वहीं हासिल सफ़र है।।
चाँद के साथी सितारे।
रात का झिलमिल सफ़र है।
रूह बंजारा है उसके।
भाग में शामिल सफ़र है।।
बह्र:
रमल मुरब्बा सालिम
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
1 comment:
वाह्ह... बहुत बढ़िया ग़ज़ल।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ५ सितंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
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