Saturday, September 13, 2025

इवोल्यूशन थ्योरी

एक दिन सपने में देखा एक सपना,
वो जो डार्विन है ना अपना,
एक लाल मुंह के बंदर से गप्पे लड़ा रहा था,
गप्पे क्या लड़ा रहा था ,
अपना ज्ञान जबरन उसे पीला रहा था,
अपनी इवोल्यूशन थ्योरी बता रहा था।

तो डार्विन बोला बंदर से,
बंदर महोदय शायद तुम्हे नहीं पता है,
मेरा अध्ययन ने स्थापित किया है,
की मनुष्य का विकास बंदर से हुआ है।

बंदर जो अब तक केला ठूस रहा था,
डार्विन की बातें को हवा में फूंक रहा था 
ये सुन कर अचानक रुक गया,
डार्विन की और थोड़ा झुक गया,
फिर बोला आश्चर्य से,
बंदर से !
कौन सा वाला ?
भाई साहब,
बी स्पेसिफिक!
लाल मुंह वाला की काले मुंह वाला?
मैकाक था या गिब्बन था या फिर था लंगूर ?
अरे 200 टाईप के बंदर होते हैं हुजूर,
गोरिल्ला की तो मैं बात ही नहीं कर रहा,
उसके मुकाबले तुम्हे नहीं धर रहा,
कद में गोरिल्ला कहां और तुम कहां,
सो वो तो मानव बनने से रहा ।
और बंदर की को भी इज्जत है, मानव क्यूं बनेगा?
समूह में सच्ची कम्युनिस्ट ज़िंदगी जीने वाला 
मानव की विकृत मानसिकता की भेंट क्यों चढ़ेगा ?
डार्विन भाई कुछ गलती हो रही है,
इस इवोल्यूशन थ्योरी का मूल में,
 कम से कम बंदर तो नहीं हैं।
मानव  लगता तो हैं कुछ कुछ हम जैसा 
पर हमारे स्तर पर पहुंचा नहीं है,
हमारी व्यवस्था में सब कुछ सही है,
और इंसान होने की हमको जरूरत नहीं है।

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