Saturday, August 30, 2025

दिल लगाना (ग़ज़ल)

दिल लगाना नहीं मुझको,
कुछ गँवाना नहीं मुझको।

चाक मेरा गिरेबाँ है,
पर दिखाना नहीं मुझको।

राग दीपक सुनाता हूँ,
अब बुझाना नहीं मुझको।

एक महब्बत अधूरी सी,
फिर निभाना नहीं मुझको।

आँख नम, गाल गीले हैं,
पर छुपाना नहीं मुझको।

बस छुपाने कसक अपनी,
मुस्कुराना नहीं मुझको।

धूप है "रूह" दामन में,
छाँव पाना नहीं मुझको।

बह्र: फ़ाएलातुन मुफ़ाईलुन
रदीफ़: नहीं मुझको
क़ाफ़िया: …आना

Saturday, August 16, 2025

हाथ दो, दो पैर वाला एक जिस्म है ।
आदमी भी जानवर की एक किस्म है ।।

Wednesday, August 6, 2025

मो से रूठों ना

मो से रूठों ना, मोरे सजनवा।
बिनती करूं मैं , परु चरनवा।।

मुख फेरत तुम, पतझर छाए,
चम्पा चमेली जूही, डार मुरझाए,
सूख गए मेघ मोरी अंखियन के,
निर्दयी खाओ ना कछु तरसवा ।।

बिनती करूं मैं , परु चरनवा।।

द्वारे बैठी मै पलकें बिछाए,
जाने कितने पहर बिताए,
सूरज छत से ड्योढ़ी उतरा,
पर साजन नाही तोरा दरसवा।।

बिनती करूं मैं , परु चरनवा।।

अब तो मोरी आस भी छुटी,
प्रीत प्यार सारी बातें झूठी,
छोर देऊं जो प्रान अगर मैं,
सायद लरजे तोरा करजवा।।

बिनती करूं मैं , परु चरनवा।।