मो से रूठों ना, मोरे सजनवा।
बिनती करूं मैं , परु चरनवा।।
मुख फेरत तुम, पतझर छाए,
चम्पा चमेली जूही, डार मुरझाए,
सूख गए मेघ मोरी अंखियन के,
निर्दयी खाओ ना कछु तरसवा ।।
बिनती करूं मैं , परु चरनवा।।
द्वारे बैठी मै पलकें बिछाए,
जाने कितने पहर बिताए,
सूरज छत से ड्योढ़ी उतरा,
पर साजन नाही तोरा दरसवा।।
बिनती करूं मैं , परु चरनवा।।
अब तो मोरी आस भी छुटी,
प्रीत प्यार सारी बातें झूठी,
छोर देऊं जो प्रान अगर मैं,
सायद लरजे तोरा करजवा।।
बिनती करूं मैं , परु चरनवा।।