Tuesday, January 30, 2024

मस्जिद में ना वो मंदर मिला (ग़ज़ल)

मस्जिद में ना वो मंदर मिला।
उसे जो ढूंढा वो अंदर मिला।।
सच खोजने को गए जहां भी।
बस झूठों का समंदर मिला ।।
इंसा की बस्ती में दश्त से आए।
बड़ा खौफनाक मंजर मिला।।
अन अल हक़्क़ सदा पे मंसूर।
फंदा हमेशा गले पर मिला।।
जात पात और धर्म के नाम।
नही कुछ सिवा बवंडर मिला।।
देखा जो मैने माज़ी में सबके।
पुरखों के नाम बंदर मिला।।
बोझ कितना "रूह" न पूछों।
मन मन भर मन पर मिला ।।

**ऋषिकेश खोडके "रूह"**

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