जो भी कहना मिल कर कहना।
नहीं पीठ पीछे, मुंह पर कहना।।
न रखना कुछ दिल मे अपने।
कहना जो भी खुल कर कहना।।
खो जाए जहां खुर के निशान।
उसे गांव नहीं शहर कहना ।।
जो बह रहा, सब मल मूत्र है।
नदी नही इसे गटर कहना।।
सही गलत सबको पता रूह।
चाहे ना कोई मगर कहना।।
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