यूं ही छलक पड़े आसूँ , न जाने क्यूँ ।
ढूंढता हूँ , मिलते नहीं माने क्यूँ ॥
कोई सबब नहीं मेरी तन्हाई का ।
करीब है सब, लेकिन अन्जाने क्यूँ ॥
ज़माना गुज़र गया मगर आज भी ।
अहसास किसी का है सिरहाने क्यूँ
ढूंढता हूँ , मिलते नहीं माने क्यूँ ॥
कोई सबब नहीं मेरी तन्हाई का ।
करीब है सब, लेकिन अन्जाने क्यूँ ॥
ज़माना गुज़र गया मगर आज भी ।
अहसास किसी का है सिरहाने क्यूँ
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