श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ,
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ।
भक्तों का सखा वो, भक्तों की माऊली ।।
पुंडरीक निवेदन का जिसने मान रखा,
कमर रख कर हाथ, हुआ ईंट पर खड़ा,
भक्त की मांग पर सदा वहीं बस गया
जाती पंथ छोड़ के, प्रेम डोर बांध ली ।
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ,
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ।
भक्तों का सखा वो, भक्तों की माऊली ।।
नामा के पुकारा उसको, तुका ने पुकारा,
ज्ञानोबा माऊली ने तन मन धन उतारा,
जन जन के मन आंगन, पांडुरंग जगाया,
गाते नाचते अब सब करे वारी पंढरी ।
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ,
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ।
भक्तों का सखा वो, भक्तों की माऊली ।।
जात पात कोई नहीं, नहीं तुच्छ महान ,
आत्मा सब एक है,विठुराया का ज्ञान ,
वारकरी का पांडुरंग, माऊली ही प्राण,
तर जाए डोर जो माऊली की थाम ली।।
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ,
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ।
भक्तों का सखा वो, भक्तों की माऊली ।।
पंढरी का विठ्ठल, सदा भक्तों के साथ,
भक्त पुकारे जब , पाए विठ्ठल साक्षात,
कहे "रूह" सबके मनकी, पांडुरंग को ज्ञात,
दुख हरे, हरे पीड़ा, प्राचीती विठू नाम की ।
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ,
श्री हरी विट्ठल,श्री हरी विट्ठल ।
भक्तों का सखा वो, भक्तों की माऊली ।।
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