वक्रतुंड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभा,
गौरी पुत्र गणेशाय,कृपा आपकी सर्वदा।
एकदंत, गजानन, मंगलमय आधार,
मूषक वाहन सवार, संकट हरें अपार।
लंबोदर, विकट, विनायक, सिद्धि के हो दाता,
वास तुम्हारा रिद्धि संग, सुख-समृद्धि प्रदाता।
धूम्रवर्ण, भालचंद्र, तुम हो बुद्धि के देव,
ज्ञान-विवेक से पूरित, कृपा रहे सदैव।
श्री कपिल, विघ्नराज, शुभ कार्य के कर्ता,
सर्व भय दुख हर्ता , गणपतए विघ्नहर्ता।
विघ्नेश्वर, गजानन, शुभ-लाभ के तुम दाता,
मनोकामनाएं पूरी करे, देवाधीश विधाता।
श्री गणेश, गणाधिपति, संकट हरों हमारे,
कृपा करो, मंगलमूर्ति, हम भक्त तुम्हारे।
कृपादृष्टि रखो बना, कहे दास ऋषिकेश,
नमन श्रीचरण प्रभु, श्रीगणेश, श्रीगणेश।
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