Monday, September 30, 2024

देव का दूत

इक बार यूं हुआ की,
धरा पर
श्री नारद जी
मनुष्यों से टकरा गए,

असमंजस में पड़े,
हकबका गए,
सुर असुर यक्ष राक्षस  
हर एक को किया है
अपनी वाणी के वश।
पर मनुष्य पर किसका वश।
इंसानों का पर देवलोक में भी 
रिकॉर्ड बड़ा खराब है 
इंद्र देव के कड़े हैं इंस्ट्रक्शन,
न मुंह लगें मानवों के,
मति इनकी बर्बाद है।

पर मरते ना क्या करते
सामना हो चुका था
जानते थे शीश झुकाए खड़े हैं मानव,
आशीर्वाद का समय आ पड़ा था।
डर था कुछ मांग ना ले उल्टा सीधा
7 12 के एग्रीमेंट को ले कर 
स्वर्ग में इन्द्र जी को वैसे भी डर था,
जल्दबाजी में तुरंत दिया आशीर्वाद ,
अंतर्ध्यान हो गए,
आशीर्वाद में मनुष्यों को बनो 
देव का दूत कह गए।

यहीं ! यहीं इस घटना को आया उपद्रव का स्वरूप
शीघ्रता में नारद जी ने नही बताया,
किस देव का दूत।
मनुष्य की मति देखो कितनी अद्भुत,
वो अब धरा पर बन बैठे हैं,
यमदूत यमदूत यमदूत।

3 comments:

Sweta sinha said...

यमदूत ...सच में।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १ अक्टूबर २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

Rishikesh khodke said...

Dhanyawad Sweta ji

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर