Friday, October 25, 2024

हिंडोला

हिंडोला झूलत मोरे आँगनवा, 
मनवा हमार ललचाय ।
चल री सखी झूलन को झूला 
पुरवा ये खींच बुलाय।।

बैठ जइबे संग तुम्हरे सखी,
झूलब हम भी सनन-सनन।
गगन छुअत ज्यों हिंडोला ,
बढ़त जाय सखी धरकन ।
देख सखी नटखट ये पुरवा,
हाथन लट सहलाए।
हिंडोला झूलत मोरे आँगनवा, 
मनवा हमार ललचाय ।

संग संग यूं झूलत झूलत,
गाएं हम कजरी गीत ।
सरर सर काट पबन को,
रस्सी झूले की दे संगीत।
पकड़ रख पर हाय दईया,
लहंगा हमारवा लहराय ।
हिंडोला झूलत मोरे आँगनवा, 
मनवा हमार ललचाय ।

ए सखी! रस्सा रख पकड़े,
जोर लगाईं हम दोउ पारे।
गगन तक उड़ावें झोंका,
चल पगवा पंख लगा ले ।
छू कर आवे चल सूरजवा ,
मनवा खूब ललचाय।
हिंडोला झूलत मोरे आँगनवा, 
मनवा हमार ललचाय ।

No comments: