Sunday, October 27, 2024

ग़म न इतना सहा कर (ग़ज़ल)

ग़म न इतना सहा कर ।
बात दिल की कहा कर ।।
धड़कनों की कहानी ।
लफ़्ज़ बन के कहा कर।।
ख़्वाब तो फूल हैं बस ।
खाद पानी किया कर।।
ज़िन्दगी इक सफ़र है ।
मुस्कुरा के चला कर।।
अश्क अपने छुपा कर।
होंठ से तब्सिरा कर।।
आँख में ख़्वाब अपने ।
उम्र भर रख सजा कर।।
आरसी सच न कह दे।
हौसला रख बना कर।।
क्यों उदासी में जीना।
मन करे तो हँसा कर।।
जो नहीं साथ तेरे ।
राह उनसे जुदा कर।।
फ़ासिला बढ़ न जाए।
पास दिल के रहा कर।।
तीरगी ख़त्म करने ।
रौशनी से मिला कर।।
बोझ कर दिल का हल्का ।
अश्क अपने बहा कर।।
रूह का हम-सफ़र तू ।
साथ उसके चला  कर ।।

No comments: