Sunday, April 2, 2023

अशआर

बस जिक्र तेरा ही रूहानी है मेरे लिए ।।
बाकी तो सब दुनिया फानी है मेरे लिए ।।


दूर तक जिन्दगी का सफर कर लिया है ।
लगता नही था करेंगे मगर कर लिया है ।।
और कब तक आखिर रखोगे यूं बैठा कर ।
काफ़ी है जितना हमने सबर कर लिया है ।।


मर गया तो लौट कर आऊंगा।
भूत बनकर सबको सताऊंगा।
गज़लों को मेरी दाद दे देना तुम।
वरना छाती पर चढ़ जाऊंगा ।।

इंतज़ार आखिर कितना करवाओगे।
अब क्या गंगा जल पिलाने आओगे।।
सुबह से बैठा हूं बिछा कर पलकें ।
के जब ढलेगा दिन तब तुम आओगे।।
दिल में एक छोटी सी जगह चाहता हूं।
तुम कहते हो भीड़ में कहां समाओगे।।

गम से बाहर निकलना किसको है।
तू नही तो फिर संभलना किसको है।।

अपने पास रहने दीजिए।
थोडा सा ख़ास रहने दीजिए।
वक्त हमारा भी आएगा कभी।
छोटी से आस रहने दीजिए।

**ऋषिकेश खोडके "रुह"**


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