किताबों में गुलाब सुखा हुआ, तेरी याद दिलाता है।
रुमाल तेरा वो घर भूला हुआ, तेरी याद दिलाता है।।
इक रोज़ गिरा था उलझकर जो दुपट्टे से तेरे ।।
फूलदान भी वो टूटा हुआ, तेरी याद दिलाता है।।
लहराती जुल्फों से तेरी ,अक्सर लिपटा रहता था ।
गजरा किसी चोटी में गूंथा हुआ, तेरी याद दिलाता है।।
दिन भर जाने कितने चेहरों से, होता हूं रूबरू ।
चेहरा पर कोई रूठा हुआ, तेरी याद दिलाता है।।
जज्बाते-दिले-रूह कभी ढल ना पाए अल्फाजों मे।
खत वो अधूरा लिखा हुआ, तेरी याद दिलाता है ।।
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