Wednesday, April 19, 2023

ग़ज़ल

जाने क्या क्या सिखाती है ज़िंदगी ।
अक्सर आइना दिखाती है ज़िंदगी ।।
जो है खुद के पास कम लगता है ।
दूसरे की बड़ी सुहाती है जिंदगी।।
ठहरे से लगे पल खुशियों के जब ।।
यकायक तब रुलाती है जिंदगी।।
मुश्किलात से ताउम्र राहत नहीं।
शनि की जैसे साढ़े साती है ज़िंदगी ।।
ख्वाहिशें जज़्ब कर दिन गुजारा।
वही ख्वाब में दिखाती है ज़िंदगी।।
अच्छा बुरा सोचो पर ख्याल रहे।
अपनी सोच की बैसाखी है जिंदगी ।।
संभाल सको इसे तो संभालो "रूह"।
गई तो फिर नही आती हैं ज़िंदगी ।।

6 comments:

Sweta sinha said...

ज़िंदगी के रंग..बेहतरीन गज़ल सर।
सादर।
----
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २१ अप्रैल २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

Sudha Devrani said...

जो है खुद के पास कम लगता है ।
दूसरे की बड़ी सुहाती है जिंदगी।।
वाह!!!
बहुत सुंदर गजल।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ज़िन्दगी से न जाने क्या चाहते हैं हम ।
हर पल ज़िन्दगी को कोसते हैं हम ।।

बेहतरीन अभिव्यक्ति

Rishikesh khodke said...

आपका का बहुत बहुत धन्यवाद

Rishikesh khodke said...

आपका का बहुत बहुत धन्यवाद

Rishikesh khodke said...

आपका का बहुत बहुत धन्यवाद