ज़िंदगी से मुझे मलाल कुछ नही ।
हो किसी को मुझे सवाल कुछ नही।।
कोई वाइज होगा , आलिम होगा ।
मैं मलंग मेरी मिसाल कुछ नही।।
के मौत आयी और हम मर गए ।
सौच मत इसमें कमाल कुछ नही ।।
खून जलता है तो बनती ग़ज़ल।
शेरों में मेरे बेख्याल कुछ नही ।।
देखो रूह ज़रा औरों की हालत।
बेहतर हो तुम ये हाल कुछ नही ।।
कर गुजरा मै जो जी में आया ।।
रुह आसां सब मुहाल कुछ नही ।।
*ऋषीकेश खोड़के "रूह"*
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