मुझमें कुछ तेरे जैसा रहता है।
मैं तेरी धड़कन हूं ये कहता है।।
अश्क नही है ये तो बस पानी है।
एक समंदर आंखों से बहता है।।
मुझ से मत पूछिए हिज्र के माने।
बरसों से यही तो दिल सहता है।।
झूठे ही सही हमको तुम पुकारों तो।
कहां कोई आसमान यूं ढहता है ।।
"रूह" के जैसे है कोई मस्त मलंग।
बस अपनी ही धुन में रहता है ।।
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