ज़िंदगी अपनी ख़ाक करते रहे।
तजुर्बात हम लाख करते रहे।।
आगे बढ़ने की चाहत थी उनको
किस किस को वो बाप करते रहे।
अब बैठे हैं आपके सामने तो
आप के नाम का जाप करते रहे
वादों करके भुला भी दिया तुमने
मुरीद गरेबाँ चाक करते रहे।।
झुलसने से जब लगे जज़्बात।
रूह शायरी को आब करते रहे।।
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