Saturday, May 24, 2025

कुछ गलत कुछ सही है (ग़ज़ल)

कुछ गलत, कुछ सही है ।
जिंदगी तो यही है ।।

दंभ की भीत देखो ।
बीच रिश्ते खड़ी है ।।

चीख़ गूँगों की सुनिए।
वेदना से भरी है।।

गाँव की देहरी भी अब ।
शहर से आ मिली है।।

रूह’ सच बोलने पर ।
क्रोध घृणा सही है ।।

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