Saturday, May 31, 2025

इतना हत-बल किसलिये (ग़ज़ल)

इतना हत-बल किसलिये।
सत्य निर्बल किसलिये?

धर्म धंधा हो चुका ।
अब गंगा जल किसलिए?

कर्म तो बे मोल हैं ।
जात पर बल किसलिए?

भीख में हक़ मांगते।
लोक दुर्बल किसलिए?

एक सोफा चाहिये।
और जंगल किसलिए?

खेत में सीमेंट जब ।
हाथ में हल किसलिए?

सच अगर क़ाबिल नहीं।
रूह पागल किसलिए?

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