Thursday, May 16, 2024

प्रतिक्षा

नाट्य शास्त्र में वर्णित अष्ट नयिका में से एक नायिका "प्रोषितपतिका" पर कविता। प्रिय के वियोग से दु:खित विरहिणी नायिका को प्रोषितपतिका कहते हैं। 


मौरे नैन डगर पर, तकुं बांट बरस भर ।
न तोरी कोइ खबर पर, कब आओगे कहो तो।
प्रतिक्षा मे तुम्हारी, दिवस पूर्ण रात्री सारी |
निंद्रा न नयन उतारी, और जगाओगे! कहो तो ?
थकी मैं भैज-भैज पांती, उत्तर कुछ भी न पाती |
कब तक जीवन साथी, पत्र दे पाओगे! कहो तो ?
नित गोधुली बेला आये, नयन मेरे नीर बहाये |यू
अकेले रहा ही ना जाये, घर आओगे! कहो तो ?
रोज रोज निंद्रा में रात्रि, स्वप्न मे आते हो तुम ही |
किंतु क्या प्रिय स्वप्न ही, रह जाओगे ? कहो तो ?

7 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर

आलोक सिन्हा said...

बहुत बहुत सुन्दर

Anita said...

सुंदर सृजन

Rishikesh khodke said...

बहुत बहुत धन्यवाद

Rishikesh khodke said...

धन्यवाद

Rishikesh khodke said...

धन्यवाद

Rishikesh khodke said...

धन्यवाद