हाकिम से बदजुबानी करते हैं ।
चलो हम कुछ तुफानी करते हैं ।।
ख़ूब घूमे हैं जो कर के सीना चौड़ा।
आज उनको पानी पानी करते हैं ।।
भूखे रोज़ सो जाते हैं सड़कों पर।
कभी उनकी मेज़बानी करते हैं ।।
रह गई है कुछ दास्तां बिन कहे।
दास्ताँ गो उनकी कहानी करते हैं ।।
इंकलाब की ख़्वाहिश हर दिल में ।
बयां रूह की वो ज़बानी करते हैं ।।
No comments:
Post a Comment